स्थान :
समय:
1998-1999 की सर्दियों में, पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा को पार किया और राष्ट्रीय राजमार्ग और लेह (लद्धाख) और कारगिल से श्रीनगर जोड़ने वाले मार्गों की विभिन्न ऊंचाइयों पर प्रभुत्व स्थापित करते हुए कब्जा कर लिया था । भारतीय सेना ने विषम पहाड़ी वातावरण में भंयकर युद्ध का आगाज करते हुए और अपने क्षेत्र को वापस लेने के लिए मई 1999 में ऑपरेशन विजय शुरू किया । वर्ष 2000 में भारतीय सैनिकों के सम्मान में उस स्थान पर एक स्मारक का निर्माण किया गया है । स्मारक की यह वर्तमान संरचना भारतीय सेना द्वारा नवम्बर, 2014 में निर्मित की गई थी ।
स्मारक की केन्द्रीय आकृति एक गुलाबी दीवार जिस पर पीतल प्लेट लगाई गई है जिस पर उन सैनिकों के नाम उत्कीर्ण किए गए हैं । जिन्होंने आपरेशन "विजय" के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया । स्थान पर टोलोलिंग हाईट्स, टाईगर हिल और बिन्दु 4875 (बत्रा टॉप) को दर्शाया गया है, जहां पर युद्ध के दौरान उस स्थान पर लड़ाई लड़ी गई थी । स्मारक में कैप्टन मनोज पांडे गैलेरी को दर्शाया गया है जो एक युवा अधिकारी को जिनको श्रद्धांजली दी गई जिन्होंने युद्ध के दौरान नेतृत्व के लिए मरणोपरांत भारत के उच्च सैन्य पुरस्कार परम वीर चक्र से नवाजा गया था ।
स्मारक की केन्द्रीय आकृति एक गुलाबी दीवार जिस पर पीतल प्लेट लगाई गई है जिस पर उन सैनिकों के नाम उत्कीर्ण किए गए हैं जिन्होंने आपरेशन "विजय" के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया । स्थान पर टोलोलिंग हाईट्स, टाईगर हिल और बिन्दु 4875 (बत्रा टॉप) को दर्शाया गया है, जहां पर युद्ध के दौरान उस स्थान पर लड़ाई लड़ी गई थी । स्मारक में कैप्टन मनोज पांडे गैलेरी को दर्शाया गया है जिसमें एक युवा अधिकारी को श्रद्धांजलि दी गई जिनको युद्ध के दौरान नेतृत्व के लिए मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार परम वीर चक्र से नवाजा गया था ।
स्थान :
अवस्थितिः यह ब्रास कारगिल राजमार्ग लेह से 270 कि.मी. पर स्थित है ।
URL:https://goo.gl/maps/3HGCgsrkFQ3Q4znK7
समय:
स्वतंत्रता प्राप्ति से अब तक, देश की संप्रभुता और अखण्डता की रक्षा के लिए भारतीय सशस्त्र सेना के 26,000 से अधिक सैनिकों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है । राष्ट्रीय समर स्मारक इन रक्षा सेनाओं को देश की कृतज्ञता को दर्शाता है । स्मारक अपने नागरिकों से जुड़े उच्च नैतिक मूल्यों, बलिदान और राष्ट्रीय गर्व की भावना को मजबूत करता है । यह स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से अब तक विभिन्न युद्धों, संयुक्त राष्ट्र के ऑपरेशनों, मानवीय सहायता और आपदा राहत आपरेशनों के दौरान सैनिकों द्वारा किए गए बलिदानों का प्रमाण है । यह सशस्त्र सेनाओं की उच्च सैन्य पंरपराओं को दर्शाता है और राष्ट्र की निस्वार्थ सेवा का एक दीप्तिमान उदाहरण भी प्रस्तुत करता है ।
स्मारक परिसर राजसी राजपथ और सैन्ट्रल विस्टा के मौजूदा विन्यास और समरुपता का समन्वय है । समारोह के परिवेश को बनाए रखने के साथ भूनिर्माण और वास्तुकला की स्वभाविकता पर जोर दिया गया है । मुख्य स्मारक के अलावा, उन सैनिकों जिन्हें देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार "परमवीर चक्र" से नवाजा गया है, की आवक्ष मूर्ति के लिए एक समर्पित क्षेत्र है । मुख्य स्मारक का डिजाइन यह है कि एक सैनिक द्वारा ड्यूटी के दौरान किए गए सर्वोच्च बलिदान का उदाहरण ही प्रस्तुत नहीं करता है , बल्कि यह भी दर्शाता है एक सैनिक की भावना को भी अमर बनाता है । स्मारक संकेन्द्रित चक्रों की एक विशिष्ट रचना है ।
रक्षक चक्रः चक्र की सुरक्षाः रक्षक चक्र में पेड़ों की पंक्ति देश के नागरिकों को किसी भी खतरे के खिलाफ सुरक्षा का पूर्ण आश्वासन का प्रतीक है जिसमें प्रत्येक वृक्ष सैनिकों को दर्शाता है जो चौबीसों घंटे देश की क्षेत्रीय अखण्डता को सुनिश्चित करते हैं ।
त्याग चक्रः बलिदान का चक्र । सम्मान की संकेन्द्रित चक्रीय दीवारें, जो पौरानिक युद्ध संरचना "चक्रव्यूह" को दर्शाती है । दीवारों को ग्रेनाईट के टुकड़ों से आच्छदित किया गया है जिसमें प्रत्येक ग्रेनाईट टेबलेट उस सैनिक को समर्पित है जिसने सर्वोच्च बलिदान दिया है जहां उसका नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया गया है ।
वीरता चक्रः साहस का चक्र : एक आवृत गैलेरी है जो सशस्त्र सेनाओं की बहादुरीपूर्ण युद्धक कार्यवाहियों के कांस्य चित्रण में छः भित्ति चित्र की शिल्प दस्तकारी को प्रदर्शित करती है ।
अमर चक्रः अमरता का चक्र । यह एक अमर ज्योति के साथ चतुष्कोण मीनार है । यह ज्योति शहीद सैनिकों की भावना की अमरता का प्रतीक होने के साथ यह आश्वासन प्रदान करती है कि राष्ट्र उनके बलिदान को हमेशा याद रखेगा ।
परम योद्धा स्थलः परम योद्धा स्थल राष्ट्र के उच्चतम वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र (पीवीसी) प्राप्तकर्ताओं को समर्पित है और इसके साथ ही इसे यथानिर्धारित मार्गों, भू-दृश्यों और आज की तारीख तक सभी 21 पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं की अर्धप्रतिमा के साथ अभिकल्पित किया गया है ।
स्थान :
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक इंडिया गेट के पूर्व में स्थित है और नई दिल्ली में सी हैक्सागन के तीन लॉन के नजदीक 40 एकड़ में फैला हुआ है ।
URL:https://goo.gl/maps/iSCGJda2nPgFXdZe8
समय:
प्रतिदिन प्रवेश है ।
निर्धारित दिवसों और समय पर प्रवेश प्रतिबंधित
9AM -7.30 PM (Nov-Mar- last admission 7PM)
9AM -7.30 PM (Apr- Oct-last admission 8.00PM)
समयः
प्रतिदिन प्रवेश है ।
निर्धारित दिवसों और समय पर प्रवेश प्रतिबंधित
9AM -7.30 PM (Nov-Mar- last admission 7PM)
9AM -7.30 PM (Apr- Oct-last admission 8.00PM)
प्रवेश :- निशुल्क
Entry : Free
मेरिटाइम हिस्ट्री सोसाइटी फोर्ट, मुम्बई स्थित नूरभाई बिल्डिंग के प्रथम तल पर प्रदर्शित अंतरिम नौसेना विरासत का संचालन करती है । ऐतिहासिक अभिलेख का संग्रहण और संरक्षण नौसेना डॉ यार्ड, मुम्बई के अथक प्रयासों और सहायता के द्वारा किया जा रहा है । स्कूल के विद्यार्थी और एनसीसी कैडेट पूर्व अपाइंटमेंट के साथ यहां आते हैं । वर्तमान में इसे आम जनता के लिए नहीं खोला गया है ।
स्थान :
URL: https://goo.gl/maps/6nnMDdjAuG5XVoc78
समय:
नौसेना एविएशन संग्रहालय भारतीय नौसेना एविएशन के महान इतिहास को संजोकर रखने भारतीय नौसेना के "वायु उद्देश्य" के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए दिनांक 12.10.1998 को इसका उद्घाटन किया गया और इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया था । संग्रहालय में 15 विमान, एयरो इंजन, आडियो विजुअल शो, युद्ध पोत / पनडुब्बी मॉडल, सेल्फी कार्नर और स्मारिका शॉप को रखा गया है । संग्रहालय का प्रबंधन नौसेना विमान यार्ड (गोवा) के तत्वाधान के अंतर्गत आता है ।
स्थान :
URL: https://g.page/indian-naval-aviation-museum?share
समय:
हॉल ऑफ फेम संग्रहालय लेह एयर फील्ड के नजदीक स्थित है, जिसके निर्माण के साथ-साथ अनुरक्षण भारतीय सेना द्वारा किया है । भवन में दो फ्लोर बनाई गई है । यह एक अति व्यवस्थित संग्रहालय है जो 20वीं सदी के दौरान पाकिस्तान के साथ लड़े गए उच्च तुंगता युद्धों के लिए 2010 में बादल फटने में राहत पहुंचाने के साथ जन मानस की सहायता करते हुए लद्दाख में सेना की भूमि की महत्वपूर्ण रूप से याद दिलाता है । एक कक्ष में 50oc पर सैनिकों द्वारा पहने गए कपड़ों को प्रदर्शित किया गया है । एक संबद्ध "एडवेंचर पार्क" में आक्रमण विद्या और धनर्विद्या रेंज को जोड़ा गया है ।
यह संग्रहालय के निकट स्थित है इसमें उन सैनिकों का गुणगान किया गया है जिन्होंने राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया ।
स्थान :
यह संग्रहालय लेह-कारगिल मार्ग पर लेह एयरपोर्ट से लगभग 2 कि.मी. की दूरी पर स्थित है ।
URL: https://goo.gl/maps/Y1onqkd5kSu6v9va9
समय: